श्री विश्वकर्मा आरती | Jai Vishwakarma Bhagwan Ki Aarti

विश्वकर्मा भगवान को सृष्टि के महान शिल्पकार और देवताओं के वास्तुकार के रूप में जाना जाता है। इन्हें समस्त ब्रह्मांड की रचना का श्रेय दिया जाता है।

विश्वकर्मा पूजा मुख्य रूप से शिल्पकारों, इंजीनियरों, और निर्माण कार्यों से जुड़े लोगों द्वारा मनाई जाती है। उनकी आरती “जय विश्वकर्मा भगवान की आरती” उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त करने और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए गाई जाती है।

🌸श्री विश्वकर्मा आरती🌸

ॐ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु जय श्री विश्वकर्मा।

सकल सृष्टि के कर्ता रक्षक श्रुति धर्मा ॥1॥

आदि सृष्टि में विधि को, श्रुति उपदेश दिया।

शिल्प शस्त्र का जग में, ज्ञान विकास किया ॥2॥

ऋषि अंगिरा ने तप से, शांति नही पाई।

ध्यान किया जब प्रभु का, सकल सिद्धि आई॥3॥

रोग ग्रस्त राजा ने, जब आश्रय लीना।

संकट मोचन बनकर, दूर दुख कीना॥4॥

जब रथकार दम्पती, तुमरी टेर करी।

सुनकर दीन प्रार्थना, विपत्ति हरी सगरी॥5॥

एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।

द्विभुज, चतुर्भुज, दशभुज, सकल रूप साजे॥6॥

ध्यान धरे जब पद का, सकल सिद्धि आवे।

मन दुविधा मिट जावे, अटल शांति पावे॥7॥

श्री विश्वकर्मा जी की आरती, जो कोई नर गावे।

कहत गजानन स्वामी, सुख सम्पत्ति पावे॥8॥

क्या आप भी इस आरती को गाकर अपने जीवन में सफलता और सकारात्मकता का अनुभव कर रहे हैं? नीचे टिप्पणी में अपनी कहानी साझा करें!

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