Aarti – SuccessGyanHindi https://www.successgyanhindi.com ज्ञान है सफलता का रहस्य Fri, 31 Jan 2025 17:06:55 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 किशोरी कुछ ऐसा इंतजाम हो जाए | Kishori Kuch Aisa Intazam Ho Jaye https://www.successgyanhindi.com/kishori-kuch-aisa-intazam-ho-jaye.html https://www.successgyanhindi.com/kishori-kuch-aisa-intazam-ho-jaye.html#respond Sat, 01 Feb 2025 01:30:00 +0000 https://www.successgyanhindi.com/?p=974 किशोरी कुछ ऐसा इंतजाम हो जाए” भजन राधा रानी की महिमा और भक्ति का अनूठा वर्णन करता है। इसमें भक्त अपने हृदय की गहराइयों से राधा रानी से कृपा की याचना करता है। भजन में बार-बार “राधे राधे” नाम का जाप, वृंदावन की महिमा, यमुना के तट और ब्रज की गलियों का वर्णन किया गया है, जो हर भक्त के मन में भक्ति और आनंद का संचार करता है।

इसमें भक्त अपनी भावनाओं को इस तरह व्यक्त करता है कि जीवन में चाहे कोई भी स्थिति आ जाए, उनकी जुबां पर हमेशा ‘राधे राधे’ का नाम रहे। यह भजन राधा रानी की शरण में आने की प्रार्थना के साथ उनके दिव्य प्रेम और कृपा पर अटूट विश्वास को दर्शाता है।

🌸किशोरी कुछ ऐसा इंतजाम हो जाए🌸

किशोरी कुछ ऐसा इंतजाम हो जाए ।
किशोरी कुछ ऐसा इंतजाम हो जाए ।
जुबा पे राधा राधा, राधा नाम हो जाए ॥

जब गिरते हुए मैंने तेरे नाम लिया है ।
तो गिरने ना दिया तूने, मुझे थाम लिया है ॥

तुम अपने भक्तों पे कृपा करती हो, श्री राधे ।
उनको अपने चरणों में जगह देती हो श्री राधे ।
तुम्हारे चरणों में मेरा मुकाम हो जाए ॥

श्री राधे श्री राधे, राधे राधे श्री राधे ।
श्री राधे श्री राधे, राधे राधे श्री राधे ।

मांगने वाले खाली ना लौटे,
कितनी मिली खैरात ना पूछो ।
उनकी कृपा तो उनकी कृपा है,
उनकी कृपा की बात ना पूछो ॥

ब्रज की रज में लोट कर,
यमुना जल कर पान ।
श्री राधा राधा रटते,
या तन सों निकले प्राण ॥

अगर तुम ना करोगी तो कृपा कौन करेगा ।
अगर तुम ना सुनोगी तो मेरी कौन सुनेगा ॥

॥ किशोरी कुछ ऐसा इंतजाम हो जाए..॥

डोलत फिरत मुख बोलत मैं राधे राधे,
और जग जालन के ख्यालन से हट रे ।
जागत, सोवत, पग जोवत में राधे राधे,
रट राधे राधे त्याग उरते कपट रे ॥

लाल बलबीर धर धीर रट राधे राधे,
हरे कोटि बाधे रट राधे झटपट रे ।
ऐ रे मन मेरे तू छोड़ के झमेले सब,
रट राधे रट राधे राधे रट रे ॥

श्री राधे इतनी कृपा तुम्हारी हम पे हो जाए ।
किसी का नाम लूँ जुबा पे तुम्हारा नाम आये ॥

॥ किशोरी कुछ ऐसा इंतजाम हो जाए..॥

वो दिन भी आये तेरे वृन्दावन आयें हम,
तुम्हारे चरणों में अपने सर को झुकाएं हम ।
ब्रज गलिओं में झूमे नाचे गायें हम,
मेरी सारी उम्र वृन्दावन में तमाम हो जाए ॥

वृन्दावन के वृक्ष को,
मर्म ना जाने कोई ।
डार डार और पात पात में,
श्री श्री राधे राधे होए ॥

अरमान मेरे दिल का मिटा क्यूँ नहीं देती,
सरकार वृन्दावन में बुला क्यूँ नहीं लेती ।
दीदार भी होता रहे हर वक्त बार बार,
चरणों में अपने हमको बिठा क्यूँ नहीं लेती ॥

॥ किशोरी कुछ ऐसा इंतजाम हो जाए..॥

श्री वृन्दावन वास मिले,
अब यही हमारी आशा है ।
यमुना तट छाव कुंजन की,
जहाँ रसिकों का वासा है ॥

सेवा कुञ्ज मनोहर निधि वन,
जहाँ इक रस बारो मासा है ।
ललित किशोर अब यह दिल बस,
उस युगल रूप का प्यासा है ॥

किशोरी कुछ ऐसा इंतजाम हो जाए ।
किशोरी कुछ ऐसा इंतजाम हो जाए ।
जुबा पे राधा राधा, राधा नाम हो जाए ॥

किशोरी इस से बड कर आरजू-ए-दिल नहीं कोई ।
तुम्हारा नाम है बस दूसरा साहिल नहीं कोई ।
तुम्हारी याद में मेरी सुबहो श्याम हो जाए ॥

यह तो बता दो बरसाने वाली,
मैं कैसे तुम्हारी लगन छोड़ दूंगा ।
तेरी दया पर यह जीवन है मेरा,
मैं कैसे तुम्हारी शरण छोड़ दूंगा ॥

ना पूछो किये मैंने अपराध क्या क्या,
कही यह जमीन आसमा हिल ना जाये ।
जब तक श्री राधा रानी शमा ना करोगी,
मैं कैसे तुम्हारे चरण छोड़ दूंगा ॥

बहुत ठोकरे खा चूका ज़िन्दगी में,
तमन्ना तुम्हारे दीदार की है ।
जब तक श्री राधा रानी दर्शा ना दोगी,
मैं कैसे तुम्हारा भजन छोड़ दूंगा ॥

तारो ना तारो मर्जी तुम्हारी,
लेकिन मेरी आखरी बात सुन लो ।
मुझ को श्री राधा रानी जो दर से हटाया,
तुम्हारे ही दर पे मैं दम तोड़ दूंगा ॥

मरना हो तो मैं मरू,
श्री राधे के द्वार,
कभी तो लाडली पूछेगी,
यह कौन पदीओ दरबार ॥

आते बोलो, राधे राधे,
जाते बोलो, राधे राधे ।
उठते बोलो, राधे राधे,
सोते बोलो, राधे राधे ।
हस्ते बोलो, राधे राधे,
रोते बोलो, राधे राधे ॥

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हनुमान आरती | Hanuman Aarti https://www.successgyanhindi.com/hanuman-aarti.html https://www.successgyanhindi.com/hanuman-aarti.html#respond Fri, 31 Jan 2025 01:30:00 +0000 https://www.successgyanhindi.com/?p=971 हनुमान जी, जिन्हें भक्तों के संकट हरण करने वाले और असीम शक्ति के देवता के रूप में पूजा जाता है, उनकी आरती का विशेष महत्व है। हनुमान आरती भक्तों के हृदय में भक्ति, शक्ति, और आत्मविश्वास का संचार करती है। इस आरती का नियमित गायन जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने में सहायक माना जाता है।

हनुमान जी को ‘राम भक्त हनुमान’, ‘पवनपुत्र’, और ‘अंजनीसुत’ के नाम से भी जाना जाता है। उनकी आरती उनकी लीलाओं, उनके चरित्र, और भगवान राम के प्रति उनकी भक्ति को उजागर करती है।

Hanuman Aarti

🌸हनुमान आरती🌸

॥ श्री हनुमंत स्तुति ॥
मनोजवं मारुत तुल्यवेगं,
जितेन्द्रियं, बुद्धिमतां वरिष्ठम् ॥
वातात्मजं वानरयुथ मुख्यं,
श्रीरामदुतं शरणम प्रपद्धे ॥

॥ आरती ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥

जाके बल से गिरवर काँपे ।
रोग-दोष जाके निकट न झाँके ॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई ।
संतन के प्रभु सदा सहाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

दे वीरा रघुनाथ पठाए ।
लंका जारि सिया सुधि लाये ॥
लंका सो कोट समुद्र सी खाई ।
जात पवनसुत बार न लाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

लंका जारि असुर संहारे ।
सियाराम जी के काज सँवारे ॥
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे ।
लाये संजिवन प्राण उबारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

पैठि पताल तोरि जमकारे ।
अहिरावण की भुजा उखारे ॥
बाईं भुजा असुर दल मारे ।
दाहिने भुजा संतजन तारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

सुर-नर-मुनि जन आरती उतरें ।
जय जय जय हनुमान उचारें ॥
कंचन थार कपूर लौ छाई ।
आरती करत अंजना माई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥

जो हनुमानजी की आरती गावे ।
बसहिं बैकुंठ परम पद पावे ॥
लंक विध्वंस किये रघुराई ।
तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई ॥

आरती कीजै हनुमान लला की ।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
॥ इति संपूर्णंम् ॥

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श्री विश्वकर्मा आरती | Jai Vishwakarma Bhagwan Ki Aarti https://www.successgyanhindi.com/jai-vishwakarma-bhagwan-ki-aarti.html https://www.successgyanhindi.com/jai-vishwakarma-bhagwan-ki-aarti.html#respond Wed, 29 Jan 2025 01:30:00 +0000 https://www.successgyanhindi.com/?p=967 विश्वकर्मा भगवान को सृष्टि के महान शिल्पकार और देवताओं के वास्तुकार के रूप में जाना जाता है। इन्हें समस्त ब्रह्मांड की रचना का श्रेय दिया जाता है।

विश्वकर्मा पूजा मुख्य रूप से शिल्पकारों, इंजीनियरों, और निर्माण कार्यों से जुड़े लोगों द्वारा मनाई जाती है। उनकी आरती “जय विश्वकर्मा भगवान की आरती” उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त करने और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए गाई जाती है।

🌸श्री विश्वकर्मा आरती🌸

ॐ जय श्री विश्वकर्मा प्रभु जय श्री विश्वकर्मा।

सकल सृष्टि के कर्ता रक्षक श्रुति धर्मा ॥1॥

आदि सृष्टि में विधि को, श्रुति उपदेश दिया।

शिल्प शस्त्र का जग में, ज्ञान विकास किया ॥2॥

ऋषि अंगिरा ने तप से, शांति नही पाई।

ध्यान किया जब प्रभु का, सकल सिद्धि आई॥3॥

रोग ग्रस्त राजा ने, जब आश्रय लीना।

संकट मोचन बनकर, दूर दुख कीना॥4॥

जब रथकार दम्पती, तुमरी टेर करी।

सुनकर दीन प्रार्थना, विपत्ति हरी सगरी॥5॥

एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।

द्विभुज, चतुर्भुज, दशभुज, सकल रूप साजे॥6॥

ध्यान धरे जब पद का, सकल सिद्धि आवे।

मन दुविधा मिट जावे, अटल शांति पावे॥7॥

श्री विश्वकर्मा जी की आरती, जो कोई नर गावे।

कहत गजानन स्वामी, सुख सम्पत्ति पावे॥8॥

क्या आप भी इस आरती को गाकर अपने जीवन में सफलता और सकारात्मकता का अनुभव कर रहे हैं? नीचे टिप्पणी में अपनी कहानी साझा करें!

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लक्ष्मी जी की आरती | Laxmi Ji Ki Aarti https://www.successgyanhindi.com/laxmi-ji-aarti.html https://www.successgyanhindi.com/laxmi-ji-aarti.html#respond Tue, 28 Jan 2025 01:30:00 +0000 https://www.successgyanhindi.com/?p=963 हिंदू धर्म में माता लक्ष्मी को धन, वैभव और समृद्धि की देवी के रूप में पूजा जाता है। उनकी कृपा से जीवन में धन-धान्य, शांति और सौभाग्य का वास होता है। लक्ष्मी जी की आरती विशेष रूप से धनतेरस, दिवाली और शुक्रवार के दिन की जाती है। इस आरती को गाने से न केवल आर्थिक समृद्धि प्राप्त होती है, बल्कि परिवार में सुख-शांति और सकारात्मक ऊर्जा भी बनी रहती है।

लक्ष्मी जी की आरती को श्रद्धा और भक्ति से गाना बेहद शुभ माना जाता है। यह आरती माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने का एक सरल और प्रभावशाली माध्यम है। आइए, लक्ष्मी जी की कृपा प्राप्त करने के लिए उनकी पावन आरती को गाएं और अपने जीवन को प्रकाश और समृद्धि से भर दें।

Laxmi Ji Ki Aarti

🌸लक्ष्मी जी की आरती🌸

ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।

तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।

सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।

जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।

कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।

सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।

खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।

रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता।

उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥

ओम जय लक्ष्मी माता॥

🌸बोलो लक्ष्मी माता की जय!🌸

आपके जीवन में माता लक्ष्मी की कृपा सदा बनी रहे। 🙏

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आरती कुंजबिहारी की | Aarti Kunj Bihari Ki https://www.successgyanhindi.com/aarti-kunj-bihari-ki.html https://www.successgyanhindi.com/aarti-kunj-bihari-ki.html#respond Fri, 24 Jan 2025 01:30:00 +0000 https://www.successgyanhindi.com/?p=947 आरती कुंजबिहारी की श्री गिरधर कृष्ण मुरारी की। यह आरती भगवान कृष्ण के भक्तों द्वारा बहुत श्रद्धा और प्रेम से गाई जाती है।

भगवान कृष्ण, जिन्हें कुंजबिहारी (बगीचे के विहारी) भी कहा जाता है, की यह आरती उनके बाल रूप की लीलाओं का वर्णन करती है। इस आरती के माध्यम से भक्त भगवान कृष्ण की आराधना करते हैं और उन्हें अपनी भक्ति का समर्पण करते हैं।

🌸आरती कुंजबिहारी की 🌸

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

आरती कुंजबिहारी की,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

आरती कुंजबिहारी की,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

गले में बैजंती माला,

बजावै मुरली मधुर बाला ।

श्रवण में कुण्डल झलकाला,

नंद के आनंद नंदलाला ।

गगन सम अंग कांति काली,

राधिका चमक रही आली ।

लतन में ठाढ़े बनमाली

भ्रमर सी अलक,

कस्तूरी तिलक,

चंद्र सी झलक,

ललित छवि श्यामा प्यारी की,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

॥ आरती कुंजबिहारी की…॥

कनकमय मोर मुकुट बिलसै,

देवता दरसन को तरसैं ।

गगन सों सुमन रासि बरसै ।

बजे मुरचंग,

मधुर मिरदंग,

ग्वालिन संग,

अतुल रति गोप कुमारी की,

श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥

॥ आरती कुंजबिहारी की…॥

जहां ते प्रकट भई गंगा,

सकल मन हारिणि श्री गंगा ।

स्मरन ते होत मोह भंगा

बसी शिव सीस,

जटा के बीच,

हरै अघ कीच,

चरन छवि श्रीबनवारी की,

श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥

॥ आरती कुंजबिहारी की…॥

चमकती उज्ज्वल तट रेनू,

बज रही वृंदावन बेनू ।

चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू

हंसत मृदु मंद,

चांदनी चंद,

कटत भव फंद,

टेर सुन दीन दुखारी की,

श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥

॥ आरती कुंजबिहारी की…॥

आरती कुंजबिहारी की,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

आरती कुंजबिहारी की,

श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

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श्री लक्ष्मी नारायण की आरती | Shri Laxmi Narayan Aarti https://www.successgyanhindi.com/shri-laxmi-narayan-aarti.html https://www.successgyanhindi.com/shri-laxmi-narayan-aarti.html#respond Thu, 23 Jan 2025 01:30:00 +0000 https://www.successgyanhindi.com/?p=942 श्री लक्ष्मी नारायण की आरती, हिन्दू धर्म में विशेष स्थान रखने वाली एक धार्मिक आरती है, जिसे भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की उपासना के दौरान गाया जाता है। भगवान विष्णु, जिन्हें नारायण भी कहा जाता है, सृष्टि के पालनहार माने जाते हैं और देवी लक्ष्मी, समृद्धि और धन की देवी, उनकी शक्ति और पत्नी हैं। यह आरती दोनों की सामूहिक पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसे आम तौर पर त्योहारों और पूजा समारोहों में गाया जाता है।

इस आरती का पाठ करने से भक्तों को भौतिक और आध्यात्मिक दोनों तरह के लाभ प्राप्त होते हैं। यह आरती घर में सुख-शांति और समृद्धि लाने के साथ-साथ जीवन में स्थिरता और हर्ष की भावना को बढ़ावा देती है। इसे गाने के लिए विशेष रूप से दीपावली जैसे प्रमुख त्योहारों पर विशेष पूजा के समय भी इसका अभ्यास किया जाता है, जहाँ भक्त अपने घरों और दिलों में दिव्यता का स्वागत करते हैं।

इस प्रकार, श्री लक्ष्मी नारायण की आरती न केवल एक धार्मिक प्रथा है बल्कि यह एक साधना का रूप भी है, जिसके माध्यम से भक्त अपने जीवन में दिव्य शक्तियों का आह्वान कर सकते हैं और अपने कठिनाइयों को दूर कर सकते हैं।

🌸 श्री लक्ष्मी नारायण की आरती 🌸

जय लक्ष्मी-विष्णो। जय लक्ष्मीनारायण,
जय लक्ष्मी-विष्णो। जय माधव, जय श्रीपति

जय, जय, जय विष्णो॥

जय लक्ष्मी-विष्णो।
जय चम्पा सम-वर्णेजय नीरदकान्ते।
जय मन्द स्मित-शोभेजय अदभुत शान्ते॥

जय लक्ष्मी-विष्णो।

कमल वराभय-हस्तेशङ्खादिकधारिन्।
जय कमलालयवासिनिगरुडासनचारिन्॥

जय लक्ष्मी-विष्णो।

सच्चिन्मयकरचरणेसच्चिन्मयमूर्ते।
दिव्यानन्द-विलासिनिजय सुखमयमूर्ते॥

जय लक्ष्मी-विष्णो।

तुम त्रिभुवन की माता,तुम सबके त्राता।
तुम लोक-त्रय-जननी,तुम सबके धाता॥

जय लक्ष्मी-विष्णो।

तुम धन जन सुखसन्तित जय देनेवाली।
परमानन्द बिधातातुम हो वनमाली॥

जय लक्ष्मी-विष्णो।

तुम हो सुमति घरों में,तुम सबके स्वामी।
चेतन और अचेतनके अन्तर्यामी॥

जय लक्ष्मी-विष्णो।

शरणागत हूँ मुझ परकृपा करो माता।
जय लक्ष्मी-नारायणनव-मन्गल दाता॥

जय लक्ष्मी-विष्णो।

जय लक्ष्मी-विष्णो। जय लक्ष्मीनारायण,
जय लक्ष्मी-विष्णो। जय माधव, जय श्रीपति

🌸जय लक्ष्मी नारायण भगवान की! 🌸

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ॐ जय जगदीश हरे आरती | Om Jai Jagdish Hare Aarti https://www.successgyanhindi.com/om-jai-jagdish-hare-aarti.html https://www.successgyanhindi.com/om-jai-jagdish-hare-aarti.html#respond Wed, 22 Jan 2025 01:30:00 +0000 https://www.successgyanhindi.com/?p=937 भगवान जगदीश्वर की आरती भगवान विष्णु (जगदीश्वर) की स्तुति और भक्ति का एक पवित्र गीत है। यह आरती भक्तों को भगवान विष्णु की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद करती है।

इसमें भगवान की महिमा, उनके गुणों और उनकी लीलाओं का वर्णन किया गया है। यह आरती आमतौर पर मंदिरों में या घरों में भगवान विष्णु की पूजा के अंत में गाई जाती है।

Jagdish Hare Aarti

🌸 श्री भगवान जगदीश्वर आरती 🌸

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।

भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥

जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।

सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय…॥

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।

तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय…॥

तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥

पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय…॥

तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।

मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय…॥

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।

किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय…॥

दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।

अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय…॥

विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।

श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय…॥

तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।

तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय…॥

जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।

कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय…॥

श्री भगवान जगदीश्वर की आरती का आध्यात्मिक महत्व

भगवान जगदीश्वर की आरती का आध्यात्मिक महत्व अत्यंत गहरा है। यह न केवल भक्तों को भगवान विष्णु के करीब लाती है, बल्कि उनके मन को शांति और आत्मिक ऊर्जा भी प्रदान करती है।

इस आरती के माध्यम से भक्त भगवान विष्णु की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, जो जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाता है। यह संसार के पालनहार की स्तुति करने का एक शक्तिशाली तरीका है।

  • भक्ति और समर्पण: यह आरती भक्तों को भगवान विष्णु के प्रति अपनी भक्ति और समर्पण व्यक्त करने का अवसर देती है।
  • मन की शांति: आरती का पाठ करने से मन को शांति मिलती है और आत्मिक ऊर्जा बढ़ती है।
  • कृपा प्राप्ति: भगवान जगदीश्वर की आरती करने से उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाता है।
  • संसार के पालनहार की स्तुति: भगवान विष्णु को संसार के पालनहार के रूप में पूजा जाता है। उनकी आरती करने से संसार की सुरक्षा और कल्याण की कामना की जाती है।

ॐ जय जगदीश हरे आरती से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

“ॐ जय जगदीश हरे” आरती के रचनाकार कौन हैं?

ॐ जय जगदीश हरे” आरती के रचनाकार पंडित श्रद्धाराम फिल्लौरी हैं। वे 19वीं शताब्दी के एक प्रसिद्ध संत, लेखक और ज्योतिषी थे।

“ॐ जय जगदीश हरे” किस भगवान को समर्पित है?

यह आरती मुख्य रूप से भगवान विष्णु को समर्पित है, जिन्हें “जगदीश” (संसार के स्वामी) कहा गया है। हालांकि, इसे समय के साथ अन्य देवी-देवताओं के लिए भी गाया जाने लगा।

इस आरती की रचना कब की गई थी?

ॐ जय जगदीश हरे” आरती की रचना 19वीं शताब्दी में पं. श्रद्धाराम फिल्लौरी द्वारा की गई थी।

ॐ जय जगदीश हरे” आरती कहां गाई जाती है?

यह आरती मंदिरों, घरों, धार्मिक आयोजनों और भक्ति सभाओं में गाई जाती है। यह हिंदू धर्म में पूजा और उपासना का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

ॐ जय जगदीश हरे” आरती का महत्व क्या है?

इस आरती का महत्व भक्ति और समर्पण के माध्यम से भगवान की महिमा का गुणगान करना है। यह भक्तों को आत्मिक शांति और भगवान के प्रति श्रद्धा बढ़ाने में मदद करती है।

पं. श्रद्धाराम फिल्लौरी कौन थे?

पं. श्रद्धाराम फिल्लौरी 19वीं शताब्दी के एक विद्वान, ज्योतिषी और लेखक थे। वे “ॐ जय जगदीश हरे” आरती के रचनाकार हैं और उन्होंने समाज में भक्ति और नैतिकता को बढ़ावा देने वाले साहित्य का सृजन किया।

इस आरती में कितने छंद हैं?

ॐ जय जगदीश हरे” आरती में 8 मुख्य छंद हैं, जिनमें भगवान के गुणों और उनकी कृपा का वर्णन किया गया है।

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श्री गणपति आरती | Shri Ganpati Aarti https://www.successgyanhindi.com/shri-ganpati-aarti.html https://www.successgyanhindi.com/shri-ganpati-aarti.html#respond Tue, 21 Jan 2025 01:30:00 +0000 https://www.successgyanhindi.com/?p=932 गणेश जी की आराधना उनके भक्तों के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति लाती है। हिंदू परंपरा में भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और शुभ कार्यों के आरंभकर्ता के रूप में पूजा जाता है। उनकी स्तुतियों और आरतियों का गान हर पूजा को पूर्णता प्रदान करता है।

“श्री गनपति भज प्रगट पार्वती” एक दुर्लभ और प्राचीन आरती है, जो भगवान गणेश की महिमा को बड़े ही भावपूर्ण ढंग से वर्णित करती है। यह केवल एक आरती नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव है, जिसमें भगवान गणेश के दिव्य स्वरूप, उनके गुणों और उनके आशीर्वाद को शब्दों के माध्यम से महसूस किया जा सकता है।

यह आरती उन भक्तों के लिए विशेष है, जो अपने जीवन की कठिनाइयों को दूर करने और परम सुख व शांति की प्राप्ति के लिए भगवान गणेश का ध्यान करते हैं।

आइए, इस सुंदर स्तुति का आनंद लेते हैं और भगवान गणेश की कृपा को अपने जीवन में आमंत्रित करें।

श्री गणपति आरती का आध्यात्मिक महत्व

“श्री गनपति भज प्रगट पार्वती” स्तुति भगवान गणेश की महिमा को दर्शाने वाली एक पवित्र आरती है, जिसमें उनकी दिव्यता, गुण, और भक्तों के प्रति उनकी कृपा का वर्णन किया गया है।

यह स्तुति भगवान गणेश को विघ्नहर्ता, बुद्धि प्रदाता और समृद्धि के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत करती है। इसे गाने या पढ़ने से मानसिक शांति, आध्यात्मिक ऊर्जा, और सकारात्मकता का अनुभव होता है। भगवान गणेश को सभी शुभ कार्यों का आरंभकर्ता माना जाता है, और उनकी यह स्तुति हर तरह के विघ्नों को दूर कर जीवन को सफल और सुखमय बनाती है।

यह केवल भक्ति का माध्यम नहीं है, बल्कि एक साधना है जो आत्मिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करती है। यह स्तुति उन भक्तों के लिए विशेष है जो अपने जीवन में विघ्नों से मुक्ति पाकर समृद्धि और शांति की प्राप्ति चाहते हैं।

Shree Ganesh Aarti

🌸 श्री गणपति आरती 🌸

श्रीगनपति भज प्रकट पार्वती

श्री गनपति भज प्रगट पार्वती,

अंक बिराजत अविनासी।

ब्रह्मा-बिष्नु-सिवादि सकल सुर,

करत आरती उल्लासी।।

त्रिसूलधरको भाग्य मानिकैं,

सब जुरि आये कैलासी।

करत ध्यान, गंधर्व गान-रत,

पुष्पनकी हो वर्षा-सी।।

धनि भवानि व्रत साधि लह्यो जिन,

पुत्र परम गोलोकासी।

अचल अनादि अखंड परात्पर,

भक्तहेतु भव पर-कासी।।

विद्या-बुद्धि-निधान गुनाकर,

बिघ्नबिनासन दुखनासी।

तुष्टि पुष्टि सुभ लाभ लक्ष्मि संग,

रिद्धि सिद्धि-सी हैं दासी।।

सब कारज जग होत सिद्ध सुभ,

द्वादस नाम कहे छासी।

कामधेनु चिंतामनि सुरतरु,

चार पदारथ देतासी।।

गज-आनन सुभ सदन रदन इक,

सुंडि ढुंढि पुर पूजा-सी।

चार भुजा मोदक-करतल सजि,

अंकुस धारत फरसा-सी।।

ब्याल सूत्र त्रयनेत्र भाल ससि,

उन्दुरवाहन सुखरासी।

जिनके सुमिरन सेवन करते,

टूट जात जम की फांसी।।

कृष्णपाल धरि ध्यान निरन्तर,

मन लगाय जो कोइ गासी।

दूर करैं भवकी बाधा प्रभु,

मुक्ति जन्म निजपद पासी।।

श्री गणपति आरती पाठ की विधि

  1. स्थान और समय:
    • यह स्तुति आप प्रातःकाल, संध्या समय, या किसी शुभ अवसर पर पढ़ सकते हैं।
    • पूजा का स्थान स्वच्छ और पवित्र होना चाहिए।
  2. सामग्री:
    • भगवान गणेश की मूर्ति या तस्वीर, दीपक, पुष्प, अक्षत (चावल), और मिठाई (जैसे मोदक) रखें।
  3. विधि:
    • स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
    • गणेश जी की प्रतिमा के समक्ष दीप जलाएं।
    • उनका ध्यान करें और “ॐ गणेशाय नमः” मंत्र का उच्चारण करें।
    • तत्पश्चात इस स्तुति का पाठ या गान करें।
    • अंत में गणेश जी को मोदक या कोई अन्य मिठाई अर्पित करें और आरती करें।
  4. अनुष्ठान:
    • इस स्तुति का पाठ 11, 21, या 108 बार जप के रूप में भी किया जा सकता है।

श्री गणेश चालीसा से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

इस स्तुति का पाठ किसके लिए लाभदायक है?

यह स्तुति हर भक्त के लिए लाभदायक है, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो जीवन में विघ्न, बाधाओं, और मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं। विद्यार्थी और व्यवसायी भी इसे पढ़ सकते हैं।

इस स्तुति को कब और कैसे पढ़ना चाहिए?

इसे प्रतिदिन प्रातः और संध्या समय, या विशेष अवसरों जैसे गणेश चतुर्थी, विवाह, या गृह प्रवेश पर पढ़ा जा सकता है। स्वच्छता और पवित्रता का ध्यान रखें।

क्या इस स्तुति को गाने से भी उतना ही लाभ होता है जितना पाठ करने से?

हाँ, इसे गाने या पाठ करने से समान लाभ प्राप्त होते हैं क्योंकि दोनों ही भक्तिभाव से जुड़े हैं।

क्या इसे बिना मंत्र दीक्षा के पढ़ सकते हैं?

हाँ, यह स्तुति हर व्यक्ति के लिए है और इसे बिना किसी विशेष दीक्षा के पढ़ा जा सकता है।

क्या इसे विशेष संख्या में पढ़ने से अधिक लाभ मिलता है?

हाँ, विशेष संख्या जैसे 11, 21, या 108 बार जप करने से इसका प्रभाव अधिक गहरा और सकारात्मक होता है।

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