Chalisa – SuccessGyanHindi https://www.successgyanhindi.com ज्ञान है सफलता का रहस्य Thu, 23 Jan 2025 15:09:34 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 श्री गणेश चालीसा | Ganesh Chalisa https://www.successgyanhindi.com/ganesh-chalisa.html https://www.successgyanhindi.com/ganesh-chalisa.html#respond Mon, 20 Jan 2025 01:30:00 +0000 https://www.successgyanhindi.com/?p=892 भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और शुभ कार्यों के आरंभकर्ता के रूप में पूजा जाता है। वे सभी समस्याओं का निवारण करते हैं और भक्तों को जीवन में सफलता, समृद्धि और सुख प्रदान करते हैं।

गणेश चालीसा 40 चौपाइयों का एक दिव्य संग्रह है, जो भगवान गणेश के अद्भुत रूपों, शक्तियों और कृपाओं का वर्णन करता है। इसका पाठ करने से मानसिक शांति, आत्मबल और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

श्री गणेश चालीसा का आध्यात्मिक महत्व

गणेश चालीसा का पाठ भक्तों को भगवान गणेश के साथ गहरा आध्यात्मिक संबंध स्थापित करने में मदद करता है। यह मन, बुद्धि और आत्मा को शुद्ध करता है और व्यक्ति को उनके जीवन की कठिनाइयों का समाधान प्राप्त करने का मार्ग दिखाता है।

🌸 श्री गणेश चालीसा 🌸

दोहा

जय गणपति सद्गुण सदन कविवर बदन कृपाल।

विघ्न हरण मंगल करण जय जय गिरिजालाल॥

॥ चौपाई ॥

जय जय जय गणपति राजू। मंगल भरण करण शुभ काजू॥

जय गजबदन सदन सुखदाता। विश्व विनायक बुद्धि विधाता॥

वक्र तुण्ड शुचि शुण्ड सुहावन। तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन॥

राजित मणि मुक्तन उर माला। स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला॥

पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं। मोदक भोग सुगन्धित फूलं॥

सुन्दर पीताम्बर तन साजित। चरण पादुका मुनि मन राजित॥

धनि शिवसुवन षडानन भ्राता। गौरी ललन विश्व-विधाता॥

ऋद्धि सिद्धि तव चँवर डुलावे। मूषक वाहन सोहत द्वारे॥

कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी। अति शुचि पावन मंगल कारी॥

एक समय गिरिराज कुमारी। पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी॥

भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा। तब पहुंच्यो तुम धरि द्विज रूपा।

अतिथि जानि कै गौरी सुखारी। बहु विधि सेवा करी तुम्हारी॥

अति प्रसन्न ह्वै तुम वर दीन्हा। मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा॥

मिलहि पुत्र तुहि बुद्धि विशाला। बिना गर्भ धारण यहि काला॥

गणनायक गुण ज्ञान निधाना। पूजित प्रथम रूप भगवाना॥

अस कहि अन्तर्धान रूप ह्वै। पलना पर बालक स्वरूप ह्वै॥

बनि शिशु रुदन जबहि तुम ठाना। लखि मुख सुख नहिं गौरि समाना॥

सकल मगन सुख मंगल गावहिं। नभ ते सुरन सुमन वर्षावहिं॥

शम्भु उमा बहुदान लुटावहिं। सुर मुनि जन सुत देखन आवहिं॥

लखि अति आनन्द मंगल साजा। देखन भी आए शनि राजा॥

निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं। बालक देखन चाहत नाहीं॥

गिरजा कछु मन भेद बढ़ायो। उत्सव मोर न शनि तुहि भायो॥

कहन लगे शनि मन सकुचाई। का करिहौ शिशु मोहि दिखाई॥

नहिं विश्वास उमा कर भयऊ। शनि सों बालक देखन कह्यऊ॥

पड़तहिं शनि दृग कोण प्रकाशा। बालक शिर उड़ि गयो आकाशा॥

गिरजा गिरीं विकल ह्वै धरणी। सो दुख दशा गयो नहिं वरणी॥

हाहाकार मच्यो कैलाशा। शनि कीन्ह्यों लखि सुत को नाशा॥

तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधाए। काटि चक्र सो गज शिर लाए॥

बालक के धड़ ऊपर धारयो। प्राण मन्त्र पढ़ शंकर डारयो॥

नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे। प्रथम पूज्य बुद्धि निधि वर दीन्हे॥

बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा। पृथ्वी की प्रदक्षिणा लीन्हा॥

चले षडानन भरमि भुलाई। रची बैठ तुम बुद्धि उपाई॥

चरण मातु-पितु के धर लीन्हें। तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें॥

धनि गणेश कहि शिव हिय हरषे। नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे॥

तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई। शेष सहस मुख सकै न गाई॥

मैं मति हीन मलीन दुखारी। करहुँ कौन बिधि विनय तुम्हारी॥

भजत रामसुन्दर प्रभुदासा। लख प्रयाग ककरा दुर्वासा॥

अब प्रभु दया दीन पर कीजै। अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै॥

दोहा

श्री गणेश यह चालीसा पाठ करें धर ध्यान।

नित नव मंगल गृह बसै लहे जगत सन्मान॥

सम्वत् अपन सहस्र दश ऋषि पंचमी दिनेश।

पूरण चालीसा भयो मंगल मूर्ति गणेश॥

🌸 गणपति बप्पा मोरया! 🌸

श्री गणेश चालीसा पाठ की विधि

श्री गणेश चालीसा का पाठ करने से पहले भक्तों को विशेष तैयारी करनी चाहिए। यह न केवल एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है, बल्कि भक्त और भगवान गणेश के बीच एक गहरा संबंध स्थापित करने का माध्यम भी है।

  1. स्नान और शुद्धता: प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. पूजा स्थल की तैयारी: भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र को साफ करें और पूजा स्थल पर दीप जलाएं।
  3. पुष्प और नैवेद्य अर्पण: भगवान गणेश को उनके प्रिय मोदक, फल और पुष्प अर्पित करें।
  4. शुद्ध मन से पाठ करें: ध्यान और समर्पण के साथ चालीसा का पाठ करें।
  5. आरती और प्रसाद वितरण: पाठ समाप्त करने के बाद गणेश आरती गाएं और प्रसाद वितरित करें।

श्री गणेश चालीसा से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

गणेश चालीसा क्या है?

गणेश चालीसा भगवान गणेश की महिमा का वर्णन करने वाली 40 चौपाइयों का एक पवित्र पाठ है। इसे पढ़ने से जीवन की बाधाएँ दूर होती हैं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।

गणेश चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?

गणेश चालीसा का पाठ प्रातः स्नान के बाद या शाम को पूजा स्थल पर शांत मन से करना सबसे शुभ होता है। विशेष रूप से गणेश चतुर्थी, बुधवार, और अन्य शुभ अवसरों पर इसका पाठ करना लाभकारी माना जाता है।

गणेश चालीसा के पाठ से होने वाले लाभ

गणेश चालीसा का पाठ जीवन में सकारात्मकता और शांति का संचार करता है। यह माना जाता है कि भगवान गणेश की कृपा से जीवन की सभी बाधाएँ और कठिनाइयाँ दूर हो जाती हैं। इसका नियमित पाठ मानसिक शांति प्रदान करता है और आत्मबल को मजबूत करता है। आर्थिक समृद्धि और सफलता के इच्छुक लोगों के लिए यह अत्यंत लाभकारी माना जाता है। इसके अलावा, घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। भक्तों को विश्वास है कि गणेश चालीसा का पाठ करने से भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है।

क्या गणेश चालीसा का पाठ रोज़ किया जा सकता है?

हाँ, इसका नियमित पाठ शुभ माना जाता है। यह भक्तों को मानसिक शांति और आत्मविश्वास प्रदान करता है और भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने का एक सरल मार्ग है।

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श्री राम चालीसा | Shree Ram Chalisa https://www.successgyanhindi.com/shree-ram-chalisa.html https://www.successgyanhindi.com/shree-ram-chalisa.html#respond Sun, 19 Jan 2025 01:30:00 +0000 https://www.successgyanhindi.com/?p=886 भगवान श्रीराम, मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में संपूर्ण मानवता के लिए आदर्श हैं। उनका जीवन सत्य, धर्म, करुणा और मर्यादा का अनुपम उदाहरण है। श्रीराम का स्मरण और भक्ति जीवन में संयम, धैर्य और आत्मविश्वास का संचार करती है।

श्री राम चालीसा भगवान श्रीराम की महिमा का वर्णन करने वाली एक पवित्र स्तुति है, जिसमें 40 चौपाइयों के माध्यम से उनके गुणों, पराक्रम और आदर्श जीवन का संपूर्ण चित्रण किया गया है। यह चालीसा न केवल भक्ति का माध्यम है, बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आत्मिक शांति का स्रोत भी है।

ऐसा विश्वास है कि श्रीराम चालीसा का नित्य पाठ करने से जीवन के कष्ट दूर होते हैं, मन को शांति मिलती है और भक्तों पर भगवान राम की विशेष कृपा बनी रहती है। यह भक्तों को जीवन में संयम, साहस और धैर्य से कठिनाइयों का सामना करने की प्रेरणा देता है।

राम भक्तों के लिए श्री राम चालीसा का पाठ एक ऐसा साधन है, जिससे वे भगवान श्रीराम के आदर्शों और गुणों को आत्मसात कर जीवन को सफल बना सकते हैं।

श्री राम चालीसा का महत्व

श्री राम चालीसा भगवान श्री राम की स्तुति में रचित 40 चौपाइयों का संग्रह है। इसे पढ़ने से भगवान श्री राम की कृपा प्राप्त होती है। यह चालीसा भक्तों को भक्ति, शांति और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती है।

भगवान श्री राम हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण अवतारों में से एक हैं। वे धर्म, मर्यादा और सत्य के प्रतीक हैं। श्री राम चालीसा का पाठ भक्तों को उनके जीवन से जुड़ी शिक्षाओं को आत्मसात करने में मदद करता है।

🌸श्री राम चालीसा 🌸

॥ दोहा ॥

आदौ राम तपोवनादि गमनं, हत्वा मृगं कांचनम्।

वैदेहीहरणं जटायुमरणं, सुग्रीवसंभाषणम्।।

बालीनिर्दलनं समुद्रतरणं, लंकापुरीदाहनम्।

पश्चाद् रावण कुंभकर्ण हननम्, ऐतद्धि रामायणम्।।

॥चौपाई॥

श्री रघुवीर भक्त हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी॥

निशिदिन ध्यान धरै जो कोई। ता सम भक्त और नहिं होई॥

ध्यान धरे शिवजी मन माहीं। ब्रह्म इन्द्र पार नहिं पाहीं॥

दूत तुम्हार वीर हनुमाना। जासु प्रभाव तिहूं पुर जाना॥

तब भुज दण्ड प्रचण्ड कृपाला। रावण मारि सुरन प्रतिपाला॥

तुम अनाथ के नाथ गुंसाई। दीनन के हो सदा सहाई॥

ब्रह्मादिक तव पारन पावैं। सदा ईश तुम्हरो यश गावैं॥

चारिउ वेद भरत हैं साखी। तुम भक्तन की लज्जा राखीं॥

गुण गावत शारद मन माहीं। सुरपति ताको पार न पाहीं॥

नाम तुम्हार लेत जो कोई। ता सम धन्य और नहिं होई॥

राम नाम है अपरम्पारा। चारिहु वेदन जाहि पुकारा॥

गणपति नाम तुम्हारो लीन्हो। तिनको प्रथम पूज्य तुम कीन्हो॥

शेष रटत नित नाम तुम्हारा। महि को भार शीश पर धारा॥

फूल समान रहत सो भारा। पाव न कोऊ तुम्हरो पारा॥

भरत नाम तुम्हरो उर धारो। तासों कबहुं न रण में हारो॥

नाम शक्षुहन हृदय प्रकाशा। सुमिरत होत शत्रु कर नाशा॥

लखन तुम्हारे आज्ञाकारी। सदा करत सन्तन रखवारी॥

ताते रण जीते नहिं कोई। युद्घ जुरे यमहूं किन होई॥

महालक्ष्मी धर अवतारा। सब विधि करत पाप को छारा॥

सीता राम पुनीता गायो। भुवनेश्वरी प्रभाव दिखायो॥

घट सों प्रकट भई सो आई। जाको देखत चन्द्र लजाई॥

सो तुमरे नित पांव पलोटत। नवो निद्घि चरणन में लोटत॥

सिद्घि अठारह मंगलकारी। सो तुम पर जावै बलिहारी॥

औरहु जो अनेक प्रभुताई। सो सीतापति तुमहिं बनाई॥

इच्छा ते कोटिन संसारा। रचत न लागत पल की बारा॥

जो तुम्हे चरणन चित लावै। ताकी मुक्ति अवसि हो जावै॥

जय जय जय प्रभु ज्योति स्वरूपा। नर्गुण ब्रह्म अखण्ड अनूपा॥

सत्य सत्य जय सत्यव्रत स्वामी। सत्य सनातन अन्तर्यामी॥

सत्य भजन तुम्हरो जो गावै। सो निश्चय चारों फल पावै॥

सत्य शपथ गौरीपति कीन्हीं। तुमने भक्तिहिं सब विधि दीन्हीं॥

सुनहु राम तुम तात हमारे। तुमहिं भरत कुल पूज्य प्रचारे॥

तुमहिं देव कुल देव हमारे। तुम गुरु देव प्राण के प्यारे॥

जो कुछ हो सो तुम ही राजा। जय जय जय प्रभु राखो लाजा॥

राम आत्मा पोषण हारे। जय जय दशरथ राज दुलारे॥

ज्ञान हृदय दो ज्ञान स्वरूपा। नमो नमो जय जगपति भूपा॥

धन्य धन्य तुम धन्य प्रतापा। नाम तुम्हार हरत संतापा॥

सत्य शुध्द देवन मुख गाया। बजी दुन्दुभी शंख बजाया॥

सत्य सत्य तुम सत्य सनातन। तुम ही हो हमरे तन मन धन॥

याको पाठ करे जो कोई। ज्ञान प्रकट ताके उर होई॥

आवागमन मिटै तिहि केरा। सत्य वचन माने शिर मेरा॥

और आस मन में जो होई। मनवांछित फल पावे सोई॥

तीनहुं काल ध्यान जो ल्यावै। तुलसी दल अरु फूल चढ़ावै॥

साग पत्र सो भोग लगावै। सो नर सकल सिद्घता पावै॥

अन्त समय रघुबरपुर जाई। जहां जन्म हरि भक्त कहाई॥

श्री हरिदास कहै अरु गावै। सो बैकुण्ठ धाम को पावै॥

॥ दोहा॥

सात दिवस जो नेम कर, पाठ करे चित लाय।

हरिदास हरि कृपा से, अवसि भक्ति को पाय॥

राम चालीसा जो पढ़े, राम चरण चित लाय।

जो इच्छा मन में करै, सकल सिद्घ हो जाय॥

।।इतिश्री प्रभु श्रीराम चालीसा समाप्त:।।

🌸 जय श्री राम! 🌸

🌷 श्री राम चालीसा के लाभ

  1. मानसिक शांति: इसका नियमित पाठ मानसिक तनाव को दूर करता है और मन को शांति प्रदान करता है।
  2. धार्मिक लाभ: भगवान श्री राम के प्रति भक्ति और समर्पण को बढ़ाता है।
  3. संकटों का नाश: जीवन में आने वाली कठिनाइयों और समस्याओं को दूर करता है।
  4. सकारात्मक ऊर्जा: घर और जीवन में सकारात्मकता का संचार करता है।
  5. धैर्य और साहस: यह भक्तों को साहस और धैर्य प्रदान करता है।

🔱 श्री राम चालीसा का पाठ करने की विधि

  1. स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. पूजा स्थल पर श्री राम की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
  3. दीपक और अगरबत्ती जलाकर भगवान की आराधना करें।
  4. शुद्ध मन से श्री राम चालीसा का पाठ करें।
  5. पाठ के बाद भगवान की आरती करें और प्रसाद वितरण करें।

श्री राम चालीसा से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

श्री राम चालीसा का पाठ कब करना चाहिए?

सुबह या शाम के समय पूजा स्थल पर शांत मन से पाठ करना शुभ होता है।

क्या श्री राम चालीसा का पाठ रोज़ किया जा सकता है?

हाँ, इसका नियमित पाठ मानसिक शांति और भगवान राम की कृपा प्राप्त करने के लिए लाभकारी है।

क्या श्री राम चालीसा का पाठ केवल विशेष अवसरों पर किया जा सकता है?

नहीं, इसे किसी भी दिन, किसी भी समय पढ़ा जा सकता है।

श्री राम चालीसा से क्या लाभ होते हैं?

यह पाठ जीवन के संकटों को दूर करता है, आत्मविश्वास बढ़ाता है और जीवन में सकारात्मकता लाता है।

श्री राम चालीसा का पाठ कैसे करें?

शांत मन से भगवान श्री राम की आराधना कर, दीपक जलाकर इसका पाठ करें।

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दुर्गा चालीसा | Durga Chalisa https://www.successgyanhindi.com/durga-chalisa.html https://www.successgyanhindi.com/durga-chalisa.html#respond Sat, 18 Jan 2025 01:30:00 +0000 https://www.successgyanhindi.com/?p=878 माँ दुर्गा, शक्ति और साहस की देवी, हिंदू धर्म में विशेष स्थान रखती हैं। वे अज्ञान, अधर्म और असत्य का नाश करने वाली और धर्म, सत्य एवं न्याय की स्थापना करने वाली हैं। माँ दुर्गा को आदिशक्ति कहा जाता है, जिनसे समस्त ब्रह्मांड की रचना, पालन और संहार होता है। उनकी आराधना से मनुष्य को न केवल शारीरिक और मानसिक शक्ति प्राप्त होती है, बल्कि आत्मिक शांति और समृद्धि भी मिलती है।

दुर्गा चालीसा एक प्रसिद्ध स्तुति है जो चालीस (40) चौपाइयों का एक ऐसा दिव्य संग्रह है, जिसे पढ़ने से माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है। इसे गोस्वामी तुलसीदास जी ने रचा था, जिनकी रचनाओं ने भक्ति साहित्य में एक अमूल्य योगदान दिया है। चालीसा शब्द ‘चालीस’ से बना है, जिसका अर्थ है चालीस श्लोक या चौपाइयाँ।

दुर्गा चालीसा में माँ दुर्गा के विभिन्न रूपों, उनके शौर्य, पराक्रम और उनके द्वारा राक्षसों का संहार करने के कार्यों का वर्णन है। इसमें माँ के नौ रूपों – शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री – की महिमा का भी बखान किया गया है।

दुर्गा चालीसा का ऐतिहासिक महत्व

पुराणों के अनुसार, माँ दुर्गा का अवतरण पृथ्वी से अधर्म, अन्याय और दुष्ट शक्तियों का नाश करने के लिए हुआ था। महिषासुर जैसे असुरों का संहार कर माँ दुर्गा ने यह सिद्ध किया कि नारी शक्ति अजेय और अपरिमित है। इस चालीसा में उनके अद्भुत पराक्रम, भक्तों पर कृपा और संसार के कल्याण के लिए उनके योगदान का वर्णन किया गया है।

Durga Chalisa

🕉️ दुर्गा चालीसा 🕉️

नमो नमो दुर्गे सुख करनी।

नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥

निरंकार है ज्योति तुम्हारी।

तिहूं लोक फैली उजियारी॥

शशि ललाट मुख महाविशाला।

नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥

रूप मातु को अधिक सुहावे।

दरश करत जन अति सुख पावे॥

तुम संसार शक्ति लै कीना।

पालन हेतु अन्न धन दीना॥

अन्नपूर्णा हुई जग पाला।

तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥

प्रलयकाल सब नाशन हारी।

तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥

शिव योगी तुम्हरे गुण गावें।

ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥

रूप सरस्वती को तुम धारा।

दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥

धरयो रूप नरसिंह को अम्बा।

परगट भई फाड़कर खम्बा॥

रक्षा करि प्रह्लाद बचायो।

हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥

लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं।

श्री नारायण अंग समाहीं॥

क्षीरसिन्धु में करत विलासा।

दयासिन्धु दीजै मन आसा॥

हिंगलाज में तुम्हीं भवानी।

महिमा अमित न जात बखानी॥

मातंगी अरु धूमावति माता।

भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥

श्री भैरव तारा जग तारिणी।

छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥

केहरि वाहन सोह भवानी।

लांगुर वीर चलत अगवानी॥

कर में खप्पर खड्ग विराजै।

जाको देख काल डर भाजै॥

सोहै अस्त्र और त्रिशूला।

जाते उठत शत्रु हिय शूला॥

नगरकोट में तुम्हीं विराजत।

तिहुंलोक में डंका बाजत॥

शुंभ निशुंभ दानव तुम मारे।

रक्तबीज शंखन संहारे॥

महिषासुर नृप अति अभिमानी।

जेहि अघ भार मही अकुलानी॥

रूप कराल कालिका धारा।

सेन सहित तुम तिहि संहारा॥

परी गाढ़ संतन पर जब जब।

भई सहाय मातु तुम तब तब॥

अमरपुरी अरु बासव लोका।

तब महिमा सब रहें अशोका॥

ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी।

तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥

प्रेम भक्ति से जो यश गावें।

दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥

ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई।

जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥

जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।

योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥

शंकर आचारज तप कीनो।

काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥

निशिदिन ध्यान धरो शंकर को।

काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥

शक्ति रूप का मरम न पायो।

शक्ति गई तब मन पछितायो॥

शरणागत हुई कीर्ति बखानी।

जय जय जय जगदम्ब भवानी॥

भई प्रसन्न आदि जगदम्बा।

दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥

मोको मातु कष्ट अति घेरो।

तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥

आशा तृष्णा निपट सतावें।

रिपू मुरख मौही डरपावे॥

शत्रु नाश कीजै महारानी।

सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥

करो कृपा हे मातु दयाला।

ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला।

जब लगि जिऊं दया फल पाऊं ।

तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं ॥

दुर्गा चालीसा जो कोई गावै।

सब सुख भोग परमपद पावै॥

देवीदास शरण निज जानी।

करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥

🙏 ॥ इति श्री दुर्गा चालीसा सम्पूर्ण ॥ 🙏

दुर्गा चालीसा से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

दुर्गा चालीसा क्या है?

दुर्गा चालीसा माँ दुर्गा की स्तुति में रचित 40 चौपाइयों का एक पावन ग्रंथ है। इसका पाठ करने से भक्तों को शक्ति, साहस और आत्मबल प्राप्त होता है।

दुर्गा चालीसा का इतिहास क्या है और इसे किसने रचा था?

दुर्गा चालीसा का रचनाकार गोस्वामी तुलसीदास जी माने जाते हैं। उन्होंने इसे माँ दुर्गा की महिमा का गुणगान करने के लिए रचा था।

माँ दुर्गा की उपासना क्यों की जाती है?

माँ दुर्गा की उपासना शक्ति, साहस, समृद्धि और आत्मविश्वास प्राप्त करने के लिए की जाती है। वे संकटों का नाश करती हैं और भक्तों को सुरक्षा प्रदान करती हैं।

दुर्गा चालीसा का पाठ करने से क्या लाभ होते हैं?

1. भय और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
2. मनोबल और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
3. मानसिक शांति और स्वास्थ्य लाभ मिलता है।
4. आर्थिक समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

दुर्गा चालीसा का आध्यात्मिक दृष्टि से क्या महत्व है?

दुर्गा चालीसा समाज में एकता, भाईचारा और सकारात्मक सोच को बढ़ावा देती है। विशेष रूप से नवरात्रि में सामूहिक पाठ से समाज में सांस्कृतिक एकता आती है।

दुर्गा चालीसा का पाठ कब और किन अवसरों पर करना चाहिए?

दुर्गा चालीसा का पाठ नवरात्रि, शुक्रवार, अष्टमी, नवमी या किसी भी शुभ अवसर पर किया जा सकता है। नित्य पाठ करने से विशेष लाभ होता है।

दुर्गा चालीसा से जुड़े विशेष पर्व और त्योहार कौन-कौन से हैं?

नवरात्रि, दुर्गा अष्टमी, दशहरा और चैत्र नवरात्रि जैसे पर्वों पर दुर्गा चालीसा का विशेष महत्व होता है।

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शिव चालीसा | Shiva Chalisa https://www.successgyanhindi.com/shiva-chalisa.html https://www.successgyanhindi.com/shiva-chalisa.html#respond Fri, 17 Jan 2025 01:30:00 +0000 https://www.successgyanhindi.com/?p=861 Shiva Chalisa: शिव चालीसा भगवान शिव को समर्पित एक प्रसिद्ध भक्तिमय स्तोत्र है, जिसमें भगवान शिव की महिमा, शक्ति और उनके दिव्य स्वरूप का सुंदर वर्णन किया गया है। “चालीसा” का अर्थ होता है चालीस, अर्थात् इसमें कुल 40 छंद होते हैं। इसे श्रद्धा और भक्ति भाव से पढ़ने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।

शिव चालीसा का इतिहास और रचना

शिव चालीसा की रचना महान कवि गोस्वामी तुलसीदास ने की थी। तुलसीदास जी ने भगवान राम की स्तुति में रामचरितमानस जैसे ग्रंथ की रचना की, वहीं उन्होंने भगवान शिव की भक्ति में भी कई स्तोत्र और चालीसा की रचना की।

शिव चालीसा सरल और प्रभावशाली शब्दों में रचा गया है, जिससे हर कोई इसे आसानी से पढ़ सकता है।

🕉️ शिव चालीसा 🕉️

।।दोहा।।

श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।

कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान॥

॥ चालीसा ॥

जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥

भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥

अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन छार लगाये॥

वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देख नाग मुनि मोहे॥

मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥

कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि को कहि जात न काऊ॥

देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥

किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥

तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥

आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥

किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥

दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं। सेवक स्तुति करत सदाहीं॥

वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥

प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला। जरे सुरासुर भये विहाला॥

कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥

पूजन रामचंद्र जब कीन्हा। जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥

सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥

एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥

कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥

जय जय जय अनंत अविनाशी। करत कृपा सब के घटवासी॥

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥

लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥

मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥

स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥

धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥

अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥

शंकर हो संकट के नाशन। मंगल कारण विघ्न विनाशन॥

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥

नमो नमो जय नमो शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥

जो यह पाठ करे मन लाई। ता पार होत है शम्भु सहाई॥

ॠनिया जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥

पुत्र हीन कर इच्छा कोई। निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥

पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥

त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥

धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥

जन्म जन्म के पाप नसावे। अन्तवास शिवपुर में पावे॥

कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥

॥दोहा॥

नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।

तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश॥

मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान।

अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥ 

🙏 हर हर महादेव! 🙏

शिव चालीसा से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

शिव चालीसा क्या है?

शिव चालीसा एक भक्ति गीत है जो भगवान शिव की महिमा का गुणगान करता है। इसमें भगवान शिव के रूप, स्वभाव और उनके दिव्य कार्यों का उल्लेख किया गया है। शिव चालीसा का पाठ भक्तों को मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति और जीवन में सफलता प्रदान करता है।

शिव चालीसा की रचना किसने की थी?

शिव चालीसा की रचना महान कवि गोस्वामी तुलसीदास ने की थी। तुलसीदास जी ने भगवान राम के लिए रामचरितमानस की रचना की, और भगवान शिव की भक्ति में भी उन्होंने कई भक्तिपूर्ण रचनाएँ कीं। शिव चालीसा सरल और प्रभावशाली शब्दों में लिखा गया है, जिससे इसे सभी उम्र के लोग आसानी से पढ़ सकते हैं।

शिव चालीसा का पाठ क्यों करना चाहिए?

शिव चालीसा का नियमित पाठ करने से मन की एकाग्रता बढ़ती है और मानसिक शांति मिलती है। भगवान शिव के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने का यह एक सरल और प्रभावशाली माध्यम है। ऐसा विश्वास है कि शिव चालीसा का पाठ करने से जीवन की कठिनाइयाँ दूर होती हैं और घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।

शिव चालीसा का पाठ कैसे करें?

शिव चालीसा का पाठ करने के लिए भक्तों को प्रातः या संध्या के समय स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करने चाहिए। भगवान शिव की प्रतिमा या शिवलिंग के समक्ष दीपक जलाकर, बेलपत्र, धतूरा और गंगाजल अर्पित करते हुए पूरे मन से शिव चालीसा का पाठ करना चाहिए। विशेष रूप से सोमवार और महाशिवरात्रि के दिन इसका पाठ करने का विशेष महत्व है।

शिव चालीसा से क्या लाभ होते हैं?

मानसिक शांति और आत्मिक बल की प्राप्ति
जीवन की कठिनाइयों से मुक्ति
घर में सुख-शांति और समृद्धि
आध्यात्मिक उन्नति और सकारात्मक ऊर्जा

शिव चालीसा का पाठ कब और कितनी बार करना चाहिए?

भक्तजन शिव चालीसा का पाठ प्रतिदिन कर सकते हैं, लेकिन विशेष रूप से सोमवार और महाशिवरात्रि के दिन इसका पाठ करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। संकट या जीवन में किसी विशेष इच्छा पूर्ति के लिए भी शिव चालीसा का नियमित पाठ लाभकारी होता है।

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हनुमान चालीसा | Hanuman Chalisa https://www.successgyanhindi.com/hanuman-chalisa.html https://www.successgyanhindi.com/hanuman-chalisa.html#respond Tue, 31 Dec 2024 01:30:00 +0000 https://successgyanhindi.com/?p=667 “हनुमान चालीसा” एक अत्यंत श्रद्धेय भक्ति ग्रंथ है, जिसकी रचना गोस्वामी तुलसीदास जी ने अवधी भाषा में की थी। इस चालीसा में 40 चौपाइयाँ और दो दोहों के माध्यम से हनुमान जी के अद्भुत बल, भक्ति, ज्ञान, और उनकी श्रीराम के प्रति निष्ठा का वर्णन किया गया है।

यह चालीसा केवल भक्ति गीत नहीं है, बल्कि एक ऐसा आध्यात्मिक साधन है, जो भक्तों को साहस, शक्ति और आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है। इसके हर श्लोक में हनुमान जी के दिव्य गुणों का वर्णन है, जो भक्तों को हर प्रकार के भय और संकट से मुक्त करने में सक्षम है।

“हनुमान चालीसा” का पाठ न केवल मानसिक शांति देता है, बल्कि यह भक्तों को आत्मविश्वास और ईश्वर के प्रति अटूट श्रद्धा का आशीर्वाद भी प्रदान करता है।

🕉️ श्री हनुमान चालीसा 🕉️

॥ दोहा ॥

श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि॥
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुधि विद्या देहु मोहि, हरहु कलेश विकार॥

॥ चौपाई ॥

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर॥
राम दूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा॥

महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुण्डल कुंचित केसा॥

हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
कांधे मूंज जनेउ साजै॥
शंकर सुवन केसरी नंदन।
तेज प्रताप महा जग बन्दन॥

विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया॥

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा॥
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे॥

लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये॥
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा॥

जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कवि कोविद कहि सके कहां ते॥
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा॥

तुम्हरो मंत्र विभीषण माना।
लंकेश्वर भए सब जग जाना॥
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गए अचरज नाहीं॥
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥

राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना॥

आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै॥
भूत पिशाच निकट नहिं आवै।
महावीर जब नाम सुनावै॥

नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा॥
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥

सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा॥
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोई अमित जीवन फल पावै॥

चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा॥
साधु संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे॥

अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता॥
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा॥

तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम जनम के दुख बिसरावै॥
अंतकाल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरि भक्त कहाई॥

और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेई सर्व सुख करई॥
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥

जय जय जय हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं॥
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई॥

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय महँ डेरा॥

॥ दोहा ॥
पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥

॥ इति श्री हनुमान चालीसा सम्पूर्ण ॥

🌺 “बजरंगबली की जय!” 🌺

“हनुमान चालीसा” केवल एक भक्ति ग्रंथ नहीं, बल्कि यह हनुमान जी का दिव्य आशीर्वाद है, जो हर भक्त के जीवन में शक्ति, साहस और विश्वास का संचार करता है। इसके नियमित पाठ से न केवल भय और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है, बल्कि आध्यात्मिक विकास भी संभव होता है।

यह चालीसा हमें सेवा, नम्रता और अटूट भक्ति का मार्ग दिखाती है। हनुमान जी के प्रति इस भक्ति गीत को गाते हुए, व्यक्ति अपने जीवन के सभी संकटों को पार कर सकता है और ईश्वर के प्रति अपनी निष्ठा को और अधिक दृढ़ बना सकता है।

“संकट कटै मिटै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।”

“जय श्रीराम! जय बजरंगबली!” 🌟🙏

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