माँ दुर्गा, शक्ति और साहस की देवी, हिंदू धर्म में विशेष स्थान रखती हैं। वे अज्ञान, अधर्म और असत्य का नाश करने वाली और धर्म, सत्य एवं न्याय की स्थापना करने वाली हैं। माँ दुर्गा को आदिशक्ति कहा जाता है, जिनसे समस्त ब्रह्मांड की रचना, पालन और संहार होता है। उनकी आराधना से मनुष्य को न केवल शारीरिक और मानसिक शक्ति प्राप्त होती है, बल्कि आत्मिक शांति और समृद्धि भी मिलती है।
दुर्गा चालीसा एक प्रसिद्ध स्तुति है जो चालीस (40) चौपाइयों का एक ऐसा दिव्य संग्रह है, जिसे पढ़ने से माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है। इसे गोस्वामी तुलसीदास जी ने रचा था, जिनकी रचनाओं ने भक्ति साहित्य में एक अमूल्य योगदान दिया है। चालीसा शब्द ‘चालीस’ से बना है, जिसका अर्थ है चालीस श्लोक या चौपाइयाँ।
दुर्गा चालीसा में माँ दुर्गा के विभिन्न रूपों, उनके शौर्य, पराक्रम और उनके द्वारा राक्षसों का संहार करने के कार्यों का वर्णन है। इसमें माँ के नौ रूपों – शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री – की महिमा का भी बखान किया गया है।
दुर्गा चालीसा का ऐतिहासिक महत्व
पुराणों के अनुसार, माँ दुर्गा का अवतरण पृथ्वी से अधर्म, अन्याय और दुष्ट शक्तियों का नाश करने के लिए हुआ था। महिषासुर जैसे असुरों का संहार कर माँ दुर्गा ने यह सिद्ध किया कि नारी शक्ति अजेय और अपरिमित है। इस चालीसा में उनके अद्भुत पराक्रम, भक्तों पर कृपा और संसार के कल्याण के लिए उनके योगदान का वर्णन किया गया है।
🕉️ दुर्गा चालीसा 🕉️
नमो नमो दुर्गे सुख करनी।
नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥
निरंकार है ज्योति तुम्हारी।
तिहूं लोक फैली उजियारी॥
शशि ललाट मुख महाविशाला।
नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥
रूप मातु को अधिक सुहावे।
दरश करत जन अति सुख पावे॥
तुम संसार शक्ति लै कीना।
पालन हेतु अन्न धन दीना॥
अन्नपूर्णा हुई जग पाला।
तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥
प्रलयकाल सब नाशन हारी।
तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥
रूप सरस्वती को तुम धारा।
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥
धरयो रूप नरसिंह को अम्बा।
परगट भई फाड़कर खम्बा॥
रक्षा करि प्रह्लाद बचायो।
हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं।
श्री नारायण अंग समाहीं॥
क्षीरसिन्धु में करत विलासा।
दयासिन्धु दीजै मन आसा॥
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी।
महिमा अमित न जात बखानी॥
मातंगी अरु धूमावति माता।
भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥
श्री भैरव तारा जग तारिणी।
छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥
केहरि वाहन सोह भवानी।
लांगुर वीर चलत अगवानी॥
कर में खप्पर खड्ग विराजै।
जाको देख काल डर भाजै॥
सोहै अस्त्र और त्रिशूला।
जाते उठत शत्रु हिय शूला॥
नगरकोट में तुम्हीं विराजत।
तिहुंलोक में डंका बाजत॥
शुंभ निशुंभ दानव तुम मारे।
रक्तबीज शंखन संहारे॥
महिषासुर नृप अति अभिमानी।
जेहि अघ भार मही अकुलानी॥
रूप कराल कालिका धारा।
सेन सहित तुम तिहि संहारा॥
परी गाढ़ संतन पर जब जब।
भई सहाय मातु तुम तब तब॥
अमरपुरी अरु बासव लोका।
तब महिमा सब रहें अशोका॥
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी।
तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥
प्रेम भक्ति से जो यश गावें।
दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई।
जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥
जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।
योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥
शंकर आचारज तप कीनो।
काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को।
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥
शक्ति रूप का मरम न पायो।
शक्ति गई तब मन पछितायो॥
शरणागत हुई कीर्ति बखानी।
जय जय जय जगदम्ब भवानी॥
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा।
दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥
मोको मातु कष्ट अति घेरो।
तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥
आशा तृष्णा निपट सतावें।
रिपू मुरख मौही डरपावे॥
शत्रु नाश कीजै महारानी।
सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥
करो कृपा हे मातु दयाला।
ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला।
जब लगि जिऊं दया फल पाऊं ।
तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं ॥
दुर्गा चालीसा जो कोई गावै।
सब सुख भोग परमपद पावै॥
देवीदास शरण निज जानी।
करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥
🙏 ॥ इति श्री दुर्गा चालीसा सम्पूर्ण ॥ 🙏
दुर्गा चालीसा से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
दुर्गा चालीसा क्या है?
दुर्गा चालीसा माँ दुर्गा की स्तुति में रचित 40 चौपाइयों का एक पावन ग्रंथ है। इसका पाठ करने से भक्तों को शक्ति, साहस और आत्मबल प्राप्त होता है।
दुर्गा चालीसा का इतिहास क्या है और इसे किसने रचा था?
दुर्गा चालीसा का रचनाकार गोस्वामी तुलसीदास जी माने जाते हैं। उन्होंने इसे माँ दुर्गा की महिमा का गुणगान करने के लिए रचा था।
माँ दुर्गा की उपासना क्यों की जाती है?
माँ दुर्गा की उपासना शक्ति, साहस, समृद्धि और आत्मविश्वास प्राप्त करने के लिए की जाती है। वे संकटों का नाश करती हैं और भक्तों को सुरक्षा प्रदान करती हैं।
दुर्गा चालीसा का पाठ करने से क्या लाभ होते हैं?
1. भय और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है।
2. मनोबल और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
3. मानसिक शांति और स्वास्थ्य लाभ मिलता है।
4. आर्थिक समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
दुर्गा चालीसा का आध्यात्मिक दृष्टि से क्या महत्व है?
दुर्गा चालीसा समाज में एकता, भाईचारा और सकारात्मक सोच को बढ़ावा देती है। विशेष रूप से नवरात्रि में सामूहिक पाठ से समाज में सांस्कृतिक एकता आती है।
दुर्गा चालीसा का पाठ कब और किन अवसरों पर करना चाहिए?
दुर्गा चालीसा का पाठ नवरात्रि, शुक्रवार, अष्टमी, नवमी या किसी भी शुभ अवसर पर किया जा सकता है। नित्य पाठ करने से विशेष लाभ होता है।
दुर्गा चालीसा से जुड़े विशेष पर्व और त्योहार कौन-कौन से हैं?
नवरात्रि, दुर्गा अष्टमी, दशहरा और चैत्र नवरात्रि जैसे पर्वों पर दुर्गा चालीसा का विशेष महत्व होता है।