हनुमान जी, जिन्हें बजरंगबली, पवनपुत्र और अंजनेय के नाम से भी जाना जाता है, का जन्म एक दिव्य और चमत्कारिक घटना थी। उनकी कथा भक्ति, तपस्या और ईश्वरीय आशीर्वाद का अद्भुत संगम है। यह कहानी न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि यह हमें श्रद्धा और विश्वास की गहराइयों से भी परिचित कराती है।
हनुमान जी की माता, अंजनी, अपने पूर्व जन्म में इंद्रलोक की अप्सरा थीं, जिनका नाम ‘पुंजिकस्थला’ था। वह अपनी अनुपम सुंदरता और चंचल स्वभाव के लिए जानी जाती थीं। एक बार उनकी चंचलता के कारण उन्होंने एक तपस्वी ऋषि की साधना भंग कर दी। ऋषि ने क्रोध में उन्हें श्राप दिया –
“तुम्हें पृथ्वी पर मानव रूप में जन्म लेना होगा और वानर का स्वरूप धारण करना पड़ेगा।”
श्राप सुनते ही पुंजिकस्थला को अपनी गलती का एहसास हुआ। उन्होंने ऋषि से क्षमा मांगी। ऋषि ने दया करते हुए कहा –
“तुम्हारा वानर रूप दिव्य और तेजस्वी होगा। तुम्हारे गर्भ से एक महान योद्धा का जन्म होगा, जो संसार में भक्ति और पराक्रम का उदाहरण बनेगा।”
ऋषि के वचनों के अनुसार पुंजिकस्थला ने पृथ्वी पर जन्म लिया और ‘अंजनी’ के रूप में एक वानरी कन्या बनीं। समय बीतने के बाद उनकी भेंट वानर राज केसरी से हुई। दोनों ने विवाह किया और एक-दूसरे के जीवन साथी बने।
शादी के कई वर्ष बीत जाने के बाद भी अंजनी और केसरी संतान सुख से वंचित रहे। अपनी पीड़ा लेकर अंजनी मातंग ऋषि के पास पहुंचीं। ऋषि ने उन्हें सलाह दी कि वे 12 वर्षों तक घोर तपस्या करें। अंजनी ने वायुदेव की कृपा प्राप्त करने के लिए कठोर तप किया।
उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर वायुदेव प्रकट हुए और उन्होंने कहा –
“हे अंजनी! तुम्हारे गर्भ से एक ऐसा पुत्र जन्म लेगा, जो अद्भुत बलशाली, बुद्धिमान और वेद-शास्त्रों का मर्मज्ञ होगा।”
वायुदेव के आशीर्वाद के बाद अंजनी ने भगवान शिव की घोर तपस्या की। शिवजी उनकी श्रद्धा और समर्पण से प्रसन्न हुए और वरदान दिया –
“मैं स्वयं तुम्हारे गर्भ से जन्म लूंगा और तुम्हें ऋषि के श्राप से मुक्त करूंगा।”
समय आने पर अंजनी के गर्भ से एक दिव्य बालक का जन्म हुआ। उनका मुख तेज से चमक रहा था और शरीर पर अद्भुत आभा थी। यह बालक स्वयं भगवान शिव का अवतार थे। इस बालक का नाम हनुमान रखा गया।
हनुमान जी के जन्म के समय संपूर्ण जंगल दिव्य प्रकाश से भर गया। देवताओं ने प्रसन्न होकर अंजनी और केसरी को बधाइयाँ दीं। उन्हें ‘अंजनेय’ (अंजनी का पुत्र) और ‘पवनपुत्र’ (वायुदेव का पुत्र) के नाम से पुकारा गया।
बाल्यकाल से ही हनुमान जी अपनी असाधारण शक्तियों के कारण प्रसिद्ध हो गए। एक बार उन्होंने सूर्य को फल समझकर निगल लिया, जिससे पूरा संसार अंधकारमय हो गया।
हनुमान जी का जीवन हमें यह सिखाता है कि भक्ति, समर्पण और तपस्या के माध्यम से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है। यह कथा हमें विश्वास दिलाती है कि ईश्वर हमेशा सच्चे भक्तों के साथ खड़े होते हैं।
हनुमान जी की यह कहानी न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि यह प्रेरणा का स्रोत भी है। यह कथा हमें सिखाती है कि सच्ची श्रद्धा और तपस्या कभी व्यर्थ नहीं जाती।
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“जय बजरंगबली!”
सीख: “भक्ति, श्रद्धा और तपस्या से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है।”