ॐ जय जगदीश हरे आरती | Om Jai Jagdish Hare Aarti

भगवान जगदीश्वर की आरती भगवान विष्णु (जगदीश्वर) की स्तुति और भक्ति का एक पवित्र गीत है। यह आरती भक्तों को भगवान विष्णु की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने में मदद करती है।

इसमें भगवान की महिमा, उनके गुणों और उनकी लीलाओं का वर्णन किया गया है। यह आरती आमतौर पर मंदिरों में या घरों में भगवान विष्णु की पूजा के अंत में गाई जाती है।

Jagdish Hare Aarti

🌸 श्री भगवान जगदीश्वर आरती 🌸

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।

भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥

जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का।

सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय…॥

मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी।

तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय…॥

तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥

पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय…॥

तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता।

मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय…॥

तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।

किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय…॥

दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।

अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय…॥

विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।

श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय…॥

तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा।

तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय…॥

जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे।

कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय…॥

श्री भगवान जगदीश्वर की आरती का आध्यात्मिक महत्व

भगवान जगदीश्वर की आरती का आध्यात्मिक महत्व अत्यंत गहरा है। यह न केवल भक्तों को भगवान विष्णु के करीब लाती है, बल्कि उनके मन को शांति और आत्मिक ऊर्जा भी प्रदान करती है।

इस आरती के माध्यम से भक्त भगवान विष्णु की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, जो जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाता है। यह संसार के पालनहार की स्तुति करने का एक शक्तिशाली तरीका है।

  • भक्ति और समर्पण: यह आरती भक्तों को भगवान विष्णु के प्रति अपनी भक्ति और समर्पण व्यक्त करने का अवसर देती है।
  • मन की शांति: आरती का पाठ करने से मन को शांति मिलती है और आत्मिक ऊर्जा बढ़ती है।
  • कृपा प्राप्ति: भगवान जगदीश्वर की आरती करने से उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाता है।
  • संसार के पालनहार की स्तुति: भगवान विष्णु को संसार के पालनहार के रूप में पूजा जाता है। उनकी आरती करने से संसार की सुरक्षा और कल्याण की कामना की जाती है।

ॐ जय जगदीश हरे आरती से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

“ॐ जय जगदीश हरे” आरती के रचनाकार कौन हैं?

ॐ जय जगदीश हरे” आरती के रचनाकार पंडित श्रद्धाराम फिल्लौरी हैं। वे 19वीं शताब्दी के एक प्रसिद्ध संत, लेखक और ज्योतिषी थे।

“ॐ जय जगदीश हरे” किस भगवान को समर्पित है?

यह आरती मुख्य रूप से भगवान विष्णु को समर्पित है, जिन्हें “जगदीश” (संसार के स्वामी) कहा गया है। हालांकि, इसे समय के साथ अन्य देवी-देवताओं के लिए भी गाया जाने लगा।

इस आरती की रचना कब की गई थी?

ॐ जय जगदीश हरे” आरती की रचना 19वीं शताब्दी में पं. श्रद्धाराम फिल्लौरी द्वारा की गई थी।

ॐ जय जगदीश हरे” आरती कहां गाई जाती है?

यह आरती मंदिरों, घरों, धार्मिक आयोजनों और भक्ति सभाओं में गाई जाती है। यह हिंदू धर्म में पूजा और उपासना का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

ॐ जय जगदीश हरे” आरती का महत्व क्या है?

इस आरती का महत्व भक्ति और समर्पण के माध्यम से भगवान की महिमा का गुणगान करना है। यह भक्तों को आत्मिक शांति और भगवान के प्रति श्रद्धा बढ़ाने में मदद करती है।

पं. श्रद्धाराम फिल्लौरी कौन थे?

पं. श्रद्धाराम फिल्लौरी 19वीं शताब्दी के एक विद्वान, ज्योतिषी और लेखक थे। वे “ॐ जय जगदीश हरे” आरती के रचनाकार हैं और उन्होंने समाज में भक्ति और नैतिकता को बढ़ावा देने वाले साहित्य का सृजन किया।

इस आरती में कितने छंद हैं?

ॐ जय जगदीश हरे” आरती में 8 मुख्य छंद हैं, जिनमें भगवान के गुणों और उनकी कृपा का वर्णन किया गया है।

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