श्री लक्ष्मी नारायण की आरती, हिन्दू धर्म में विशेष स्थान रखने वाली एक धार्मिक आरती है, जिसे भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की उपासना के दौरान गाया जाता है। भगवान विष्णु, जिन्हें नारायण भी कहा जाता है, सृष्टि के पालनहार माने जाते हैं और देवी लक्ष्मी, समृद्धि और धन की देवी, उनकी शक्ति और पत्नी हैं। यह आरती दोनों की सामूहिक पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसे आम तौर पर त्योहारों और पूजा समारोहों में गाया जाता है।
इस आरती का पाठ करने से भक्तों को भौतिक और आध्यात्मिक दोनों तरह के लाभ प्राप्त होते हैं। यह आरती घर में सुख-शांति और समृद्धि लाने के साथ-साथ जीवन में स्थिरता और हर्ष की भावना को बढ़ावा देती है। इसे गाने के लिए विशेष रूप से दीपावली जैसे प्रमुख त्योहारों पर विशेष पूजा के समय भी इसका अभ्यास किया जाता है, जहाँ भक्त अपने घरों और दिलों में दिव्यता का स्वागत करते हैं।
इस प्रकार, श्री लक्ष्मी नारायण की आरती न केवल एक धार्मिक प्रथा है बल्कि यह एक साधना का रूप भी है, जिसके माध्यम से भक्त अपने जीवन में दिव्य शक्तियों का आह्वान कर सकते हैं और अपने कठिनाइयों को दूर कर सकते हैं।
🌸 श्री लक्ष्मी नारायण की आरती 🌸
जय लक्ष्मी-विष्णो। जय लक्ष्मीनारायण,
जय लक्ष्मी-विष्णो। जय माधव, जय श्रीपति
जय, जय, जय विष्णो॥
जय लक्ष्मी-विष्णो।
जय चम्पा सम-वर्णेजय नीरदकान्ते।
जय मन्द स्मित-शोभेजय अदभुत शान्ते॥
जय लक्ष्मी-विष्णो।
कमल वराभय-हस्तेशङ्खादिकधारिन्।
जय कमलालयवासिनिगरुडासनचारिन्॥
जय लक्ष्मी-विष्णो।
सच्चिन्मयकरचरणेसच्चिन्मयमूर्ते।
दिव्यानन्द-विलासिनिजय सुखमयमूर्ते॥
जय लक्ष्मी-विष्णो।
तुम त्रिभुवन की माता,तुम सबके त्राता।
तुम लोक-त्रय-जननी,तुम सबके धाता॥
जय लक्ष्मी-विष्णो।
तुम धन जन सुखसन्तित जय देनेवाली।
परमानन्द बिधातातुम हो वनमाली॥
जय लक्ष्मी-विष्णो।
तुम हो सुमति घरों में,तुम सबके स्वामी।
चेतन और अचेतनके अन्तर्यामी॥
जय लक्ष्मी-विष्णो।
शरणागत हूँ मुझ परकृपा करो माता।
जय लक्ष्मी-नारायणनव-मन्गल दाता॥
जय लक्ष्मी-विष्णो।
जय लक्ष्मी-विष्णो। जय लक्ष्मीनारायण,
जय लक्ष्मी-विष्णो। जय माधव, जय श्रीपति
🌸जय लक्ष्मी नारायण भगवान की! 🌸